आशिक की लाश

और वो जो तीसरा किनारा है न इश्क़ के दरिया का,
वहां फिर किसी आशिक़ की लाश मिली है..
शायद वो भी डूबा होगा किसी के प्रेम में..
उसी सोच के साथ कि हो जायेगा पार..
और कर लेगा अपने प्यार को अमर..
मासूम रहा होगा वो, शायद नादान भी..
बेचारा मोहब्बत के उसूल नहीं जानता होगा..
कोई कह रहा था फंसा लिया था किसी हसीना ने उसे,
अपने हुस्न और अदाओं के जाल में..
कोई कह रहा था किसी ने बेवफाई की थी इसके साथ..
किसी ने कहा कि इस्तेमाल कर के छोड़ा है इसे..
और कोई कह गया कि इसकी मेहबूबा की जबर्दस्ती शादी करा दी..
सब कहानियाँ बनाते जा रहे हैं उसके बारे में..
लेखकों की कितनी तादाद है न दुनिया में..
और वो मुर्दा अब भी वहीं पड़ा है..
उसकी सच्ची कहानी जो लिख सके..
ऐसे किसी लेखक के इंतज़ार में...

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