बेबस ज़िन्दगी

ज़िन्दगी का एक सिरा उसके हाथों में थमा कर..
खुद दूसरे सिरे से अपने हाथ ज़ख़्मी करना..
और फिर भी पाल लेना एक सुखद अंत का सपना..
जैसे कोई चमत्कार होगा..
जैसे बारिश सूखी होगी..
जैसे साहिल पर डूबने से हो जाएगी मौत,,
जैसे बहनों सी जियेंगी दो सौतनें..
जैसे जलसे होंगे जनाज़े पर..
फिर भी पाल लेना ये ख्वाहिश..
मुक़द्दर की दलीलें दे कर..
कि पत्थर पिघलेंगे..
कि दरिया सूखेगा..
कि धरती गाएगी..
कि अम्बर नाचेगा..
बस यही बेतुकी सी बातें बनाना..
और सोच लेना कि सच होगा सब..
यही है इस बेबस ज़िन्दगी में भरोसा..
जिसे मोहब्बत के नाम से पुकारते हैं सब..

Comments

Popular Posts