सही या गलत?

एक धारणा बना कर सही और गलत का फैसला करने वाले बहुत से ज्ञानी महापुरुष हैं..उनसे बस इतना कहना चाहूँगा कि आपकी धारणा से सही और गलत तय नहीं हो सकता..

वैसे देखा जाये तो सही और गलत किसी रस्सी के सहारे लटकी कठपुतलियां हैं..जिसे जैसे मन आता है वैसे घुमा देता है..समझने वाली बात बस इतनी सी है कि हर किसी पर अपनी बात थोप कर आप खुद को सही और उसे गलत साबित ना करें..अगर सब एक ही बात को सही मान लेंगे और आपके साथ हो लेंगे तो ये भी सही नहीं होगा..

समाज की अनुकूलता बनाये रखने को सब की सही और गलत की अलग सोच और अलग परिभाषा ही रहे वही बेहतर..बाकी चीखना-चिल्लाना तो सब का चलता ही रहेगा..मुद्दा बस इतना है कि धारणाएँ सही और गलत तय नहीं करती..ना ही हम और आप कर सकते हैं..तो इंटरनेट और किताबी बातें पढ़ कर उस पर अपनी गहन सोच और भारी-भरकम शब्दों का तड़का लगा कर सच के नाम का झंडा उठाना बंद कीजिये क्योंकि हर जगह हर बात किसी ना किसी के हिसाब से लिखी हुई है और उसमें कितना सच है ये आप भी नहीं जानते..

और ऐसा है कि आपके थोड़े समझदार और कम काबिल हो जाने से कुछ अच्छा ही होगा..तो अपनी सोच और धारणा को जेब में डालिये और लोगों को उनके हिसाब से तय करने दीजिये कि वो क्या चाहते हैं चाहे वो कितने ही गलत क्यों ना हो आपकी नज़रों में..

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