वो लड़की

वो लड़की,
जिसे तुम चाँद कहते हो न,
वो चाँद नहीं है,
वो अमावस है..
काली रातों का घना अँधेरा है..
जिसमें गुमशुदा हो जाओगे तुम,
और खुद को ढूंढ न सकोगे..

वो वादे,
जो वो आज करती है तुम्हारे साथ जीने-मरने के,
कल उतनी ही शिद्दत से,
तुम्हारे जान की दुश्मन बन जायेगी..
छुड़ा जाएगी तुमसे दामन,
तोड़ देगी हर रिश्ता,
चुड़ैल बन कर आया करेगी फिर तुम्हारे सपनों में,
अपने किसी पिशाच आशिक के साथ..
जलाएगी तुम्हें, तडपाएगी तुम्हें,
नर्क कर देगी तुम्हारा जीवन..

वो सूरत,
जिसे देख कर ताउम्र जीने की बातें करते हो तुम,
वही ज़हर बन जाएगी तुम्हारे लिए..
घिन्न टपकेगी उससे,
जब देखोगे तुम,
उसकी आँखों में तुम्हारे लिए सिर्फ नफरत..
और वो नागिन,
डसती रहेगी तुम्हें हर रोज़..
और तुम तमाशा देखोगे बैठ कर,
हर रोज़ अपनी बर्बादी का..

वो चाँद, वो वादे, वो सूरत,
सब बस छलावा है..
उस चाँद को छत से ताकना बंद कर दो,
उन वादों को अब तुम खुद ही तोड़ दो..
उस सूरत को हमेशा के लिए भुला दो..
मुझे पता है तुमसे ये सब नहीं होगा..
नहीं छोड़ सकोगे तुम उन अँधेरी रातों का साथ..
नहीं रह पाओगे तुम उस चुड़ैल के बगैर..
नहीं कुचल सकोगे उस नागिन का फ़न..
क्यूंकि अभी मोहब्बत में हो तुम..

जब ये भरम टूटेगा..
तो देर हो चुकी होगी..
तब भुगत रहे होगे तुम,
मेरी बातें अनसुनी करने का अंजाम..
मैं तब नहीं होऊंगा तुम्हें समझाने को..
क्यूंकि तब मुझे मोहब्बत हो चुकी होगी..
और मैं किसी चाँद से ये वादा कर रहा होऊंगा,
कि उसकी सूरत देख कर ही जी लूँगा मैं ये ज़िन्दगी..
और तुम तब हंस रहे होगे मुझ पर,
कि जो गुस्ताख बातें बना गया था इतनी,
वो आज देखो कैसे फ़साने बना रहा है..

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