कहानीबाजी

हाँ थोड़ी बेवकूफ तो रही होगी वो जो सास से हुए झगड़े में अपनी जान दे दी और अपने 6 महीने के बच्चे के बारे में भी नहीं सोचा..मगर उसकी हालत और हालात दोनों से वाकिफ़ नहीं था ज़माना..बस बैठ कर कहानियाँ गढ़ी जा रही थी और यही वजह है कि दुनिया में लेखकों की इतनी तादाद बढ़ने से जीना दूभर हो गया है..

हर शख्स से जोड़ कर खुद की कहानी बना लेते हैं लोग मगर अपनी सच्ची कहानी भी एडिट कर के परोसते हैं..थोड़े सच्चे हो जाते ये खुद को समाज का ठेकेदार और आइना कहने वाले ये लेखक लोग और शायद थोड़े समझदार भी तो इतनी बातें नहीं बनती..इतनी बदनामी नहीं होती किसी की..नज़रें उठा कर चल पाना थोडा आसान हो जाता..और शायद कुछ मौतें भी टल जातीं..

Comments

Popular Posts