फोटोशॉप

मैं हूँ फ़ोटो, और तुम हो फोटोशॉप,
खुद को तुम्हारी वजह से अच्छा लगता था..
मगर जब ज़माने की निगाहों से देखा,
तो पाया कितनी दिखावटी और नकली हो तुम..

ज़्यादा तकलीफ़ तो तब हुई..
जब मेरे अंदर मौजूद ज़माने के एक हिस्से ने कहा,
इसकी तो लगा रखी है फोटोशॉप ने,
उसी वक़्त हुआ ये अंतरिम फैसला,
कि आज तुम्हें कंप्यूटर से डिलीट कर देना है..

मगर फिर आड़े आई वही अच्छे दिखने की चाह,
जिसे दरकिनार करना मुश्किल था बहुत..
लेकिन खुद को आईने में देखा तो पाया
तुम्हें ही बस अच्छा नहीं लगता मैं..
शायद इसलिए क्योंकि तुम्हें आदत है,
अपनी क़द्र हर वक़्त जताते रहने की..

भूल गयी हो तुम,
कि जो मैं हूँ, तभी तुम्हारी ज़रूरत है..
तुमसे पहले भी था, तुम्हारे बाद भी रहूँगा..
आज मैं इस फ़ोटो को बदसूरत छोड़ कर,
फोटोशॉप को हमेशा के लिए डिलीट कर रहा हूँ..

आज से ये फ़ोटो,
बिना 'एडिटिंग इफेक्ट्स' के रहेगी,
और उम्मीद है मेरे अंदर बैठा,
वो ज़माने का हिस्सा,
खुश होगा कहीं,
कि जैसा भी है ये 'ओरिजिनल' तो है..

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