हवाबाजी

कितनी भी दलीलें दे लो मगर सोच नहीं बदलने वाली किसी की। 

शराब हमेशा बुरी ही रहेगी। पुरुषों के प्यार को वासना ही समझा जायेगा। लड़की का सजना-संवरना लडकों को रिझाने के लिए ही होगा। काले लोग कभी खूबसूरत नहीं समझे जायेंगे। सब को गोरी और सुन्दर बहू ही चाहिए होगी। जली हुई सिगरेट हमेशा कैंसर की वजह मानी जायेगी। 

तिलचट्टे और छिपकलियाँ औरत जाति के सबसे बड़े दुश्मन रहेंगे और उनके लिए मौत का दंड अनिवार्य रहेगा। सांप और चूहों का बिल से बाहर आना मृत्यु को गले लगाना होगा। प्यार में फरेब और धोखा होता ही रहेगा। मर्द अपनी हवस कभी नहीं छोड़ेगा। औरत को हमेशा 'सेक्स-ऑब्जेक्ट' ही माना जायेगा। बच्चों को इंजिनियर और डॉक्टर बनाया ही जायेगा। शॉर्ट्स वाली लड़की घटिया ही रहेगी और उसका बलात्कार होना तय है। आबरू तो वैसे बुर्के वालियों की भी नहीं बचेगी। 

फेसबुक पर 'अपडेट्स' और इन्स्टाग्राम पर 'सेल्फिज' का दौर कभी ख़त्म नहीं होगा। 'जय हो' और 'हैप्पी न्यू इयर' जैसी आपके 'इंटेलिजेंस' पर सवालिया निशान लगाने वाली फिल्में बनती रहेंगी। भारत की राजनीति भ्रष्टों से भरी रहेगी। अच्छे दिन के सपने आते रहेंगे। 

ऐसी सारी बातें जो आपको दिन के 162 लाइक्स दिलाती हैं वो सब महज़ हवाबाज़ी है। किसी के बाप का कुछ नहीं जा रहा जब तक अपने साथ कुछ ना हो। और इसकी वजह ये है कि यथार्थ का एक ही चेहरा है और वो ये है कि ये सारा ड्रामा हम खुद ही करते हैं। और अगर दलीलों से कुछ बदलता तो तो वकील कलयुग के भगवान् होते और उनकी पूजा हो रही होती।

वैसे एक विडम्बना ये भी है कि मैं भी ऐसी बकवास करता रहूँगा।

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