photo credits

आज दो साल बाद तुम्हारी प्रोफाइल पर गया था। हाँ, मैंने इतने दिनों से तुम्हारी शक्ल नहीं देखी और न ही कभी कोई खबर लेनी चाही तुम्हारी मगर आज फिर मुझे तड़पना था शायद इसलिए तुम्हें देखने का ख्याल आया था। एक बार और बेवफ़ाई का ज़हर निगलना चाहता था मैं।

तुम्हारे फरेब के खुलासे के कुछ दिन पहले की मेरी खींची हुई तस्वीर डीपी में लगी हुई थी। ये उसी दिन की तस्वीर थी जिस दिन पहली बार तुम मेरे घर आई थी और उसके बाद तुमने कहा था कि तुम इस दिन को कभी नहीं भूलना चाहती इसलिए इस पल को कैद कर लिया था।

उस तस्वीर को देख कर फिर वही लगा कि शायद कहीं तो तुम्हारे अंदर आज भी हूँ मैं। खैर, जैसा सब कहते आये हैं कि औरत को कोई नहीं समझ सकता, तो मैंने भी ज़्यादा सोचना ज़रूरी नहीं समझा। मैं नहीं समझना चाहता था कि तुम क्या चाहती हो और क्यों लगायी थी तुमने ये तस्वीर। मुझे लगा कि जब तुम्हें तब नहीं समझ सका तो अब क्या समझूँगा। सच कहूँ तो तुम्हारे बाद कभी कुछ समझने की कोशिश ही नहीं की मैंने। खुद को कोई तसल्ली नहीं देना ही सही लगता था।

तुम्हारी कवर फ़ोटो में तुम बहुत अच्छी लग रही थी अपने पति के साथ। इतनी अच्छी तुम कभी मेरे साथ नहीं लगी। उस फ़ोटो पर 'photo credits' में किसी का नाम था। एक नाम डीपी के 'photo credits' में भी था मगर वो किसी को दिखेगा नहीं। अक्सर, पति का पता मिलते ही आशिक़ों को गुमनाम कर दिया जाता है।

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