चरित्रहीन

हाँ चरित्रहीन हूँ मैं,
बिल्कुल वैसा ही जैसा सब कहते हैं..
पर मुझे नहीं आता किसी के जज्बातों से खेलना,
या ठुकरा देना प्रेम किसी का,
किसी की इज़्ज़त को निर्वस्त्र कर देना..
या फिर किसी लड़की की अस्मत से खेलना..

मगर मुझे आता है ठुकरा दिया जाना,
हर बार उन शख्स के हाथों,
जो कभी मुझसे असीम प्रेम होने के दावे करते थे..
और मैंने बिना प्रेम के भी अपना लिया था उनका प्रेम..
नहीं आता मुझे ठुकरा दिए जाने के बाद,
किसी लड़की के चरित्र पर ज़माने में कीचड़ उछालना..

मैं वो हूँ, जिसे प्रेम नहीं पता,
मगर दिल टूटने का दर्द पता है..
और शायद इसीलिए चरित्रहीन हूँ मैं,
क्योंकि मुझे ठुकराया गया है कई बार..
और इसी को मेरा अनुभव मानता है ज़माना..

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