तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
कि बनाने वाले ने तुम्हें बड़ी फुर्सत से बनाया होगा,
तुमको बनाते वक़्त कभी न कभी,
ईमान तो उसका भी डगमगाया होगा। 

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
ये शोख अदाएं, ये बाकपन ,
ये तुमने कहाँ से पाया होगा,
ये मासूमियत तुम्हें किसी नवजात से मिली होगी,
या फिर गुलाब ने तुम पर अपनी पंखुड़ियों को बिखराया होगा। 

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
ये हया की लाली, ये प्यारी सी मुस्कान,
ये सोने सा दिल कहाँ से आया होगा,
ये तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के घने लम्बे साये,
यूँ लगता है किसी ने रात को ठहराया होगा। 

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
ये रूप, ये रंगत, ये कातिल नैन-नख्श,
देख कर तुमको तो वो चाँद भी शरमाया होगा,
तुम्हारे चेहरे की चमक के आगे,
चाँद ने भी अपनी चांदनी को छुपाया होगा।

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
ये ज़ात, ये चंचलता,
ये हुस्न किसको न भाया होगा,
तुम्हारी इन हसीं अदाओं पर,
एक बार तो खुद का भी दिल आया होगा।

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
जाने किस-किस के दिल में कसक उठी होगी,
जाने किस-किस को तुमने तड़पाया होगा,
कभी किसी पत्थर के सीने में भी,
तुमने अरमानों का शोला भड़काया होगा।

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
तुम्हारे नैनों के बाण ने,
तीर कितने सीनों पर चलाया होगा,
जाने कितने दिल धड़के होंगे,
जाने कितनों को अपना आशिक़ बनाया होगा। 

तुमको देखता हूँ तो सोचता हूँ,
तुम पर कइयों ने कविता लिखने की कोशिश की होगी,
मगर शब्दों को हर बार ही तुम्हारी तारीफ़ में कम पाया होगा,
लो हार गया तुम्हारी खूबसूरती से 'नादान' भी,
ज़रूर तुमने उसको भी अपना दीवाना बनाया होगा। 


सर्वाधिकार सुरक्षित 
नादान 

Comments

Popular Posts