बस आँखों से बह जाता है
आज फिर उदास हो गयी हैं..
इस कमरे की दीवारें मुझे देख कर..
इस मातम मनाते कमरे को कह दो ज़रा..
कि मेरा साथ निभाना छोड़ दे..
इसे समझा दो ज़रा..
कि ग़म मनाना छोड़ दे..
कि मेरा दिल तो कब का मर चुका..
अब तो तन्हाई के कफ़न ओढ़कर..
दर्द को सिरहाने लिए..
यादों की करवटें बदलते हुए..
कुछ भूली बिसरी कहानियों का खून..
बस आँखों से बह जाता है...
सर्वाधिकार सुरक्षित
नादान
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