अलविदा

ना तुम,ना हम,ना वो मोहब्बत,
कुछ भी पहले जैसा नहीं है,
मगर फिर भी एक अजीब सी रिश्ते की डोर है,
जो हमें अब भी बांधे हुए है,
शायद आज भी मैं तुम्हे समझता हूँ,
तुम्हारी हर बात को समझता हूँ,
और तुम भी मुझे समझती हो,
मैं नहीं जानता की क्यूँ कब और क्या हुआ,
जो होना था हो चुका वो वापस नहीं  आएगा,
फिर इसे हमेशा के लिए ख़त्म कर देते हैं ना,
ये रिश्ते की डोर दोनों छोड़ देते हैं ना,
इसे थामे रखने का कोई फायदा नहीं,
ये डोर अब हाथों में घाव कर रही है,
इन ज़ख़्मी हाथों को कब तक ज़माने से छुपायेंगे दोनों,
कब तक इस रिश्ते का बोझ उठाएंगे दोनों,
ये अनजानी सी चाहत क्यूँ मन में रखना,
क्यूँ भीतर-भीतर जल कर एक दुसरे की राह तकना,
तुम अपनी ज़िन्दगी जियो मैं अपनी जीता हूँ,
आज से अपने रास्ते अलग करते हैं,
एक अनकहा वादा फिर से करते हैं,
कभी एक-दूसरे के सामने नहीं आयेंगे,
कभी आये भी तो अनदेखा कर के आगे बढ़ जायेंगे,
कितनी भी नफरत हो जाए,ये मोहब्बत ख़त्म नहीं होगी,
ये तुम्हे भी पता है,मुझे भी खबर है,
इसलिए बेहतर है सब ख़त्म कर देना,
अब मैं भी खामोश रहूँगा,तुम भी खामोश रहना,
और धीरे-धीरे धडकनें भी खामोश हो जायेंगी।।।।।।

सर्वाधिकार सुरक्षित 
नादान 

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