बरसात नहीं होती

बदरा छाती है मगर बरसात नहीं होती,
मेरी ज़िन्दगी में अब सुकून भरी रात नहीं होती..

हुस्नवाले आते तो हैं इश्क के जाम पिलाने,
मगर मयखानों में मोहब्बत की बात नहीं होती..

लाखों हसीं चेहरे देते हैं हर रोज़ दिल पर दस्तक,
हुस्न में उनके मगर चाहत की सौगात नहीं होती..

निगाहें मिलती हैं, चर्चे भी होते हैं,
अफ़साने तो बनते हैं पर आरज़ू साथ नहीं होती..

खुदगर्ज़ दिल वकालत तो करता है हर बेवफा की,
किसी बेवफाई में मगर वो ज़ात नहीं होती..

भटकते हुए मैं यूँ ही चाहत की तलाश में,
मिलता हूँ सबसे पर मुलाक़ात नहीं होती..

अब तो ये ज़िन्दगी कट जायेगी तनहा ही,
क्यूंकि अब इस दिल की कहीं मात नहीं होती...

सर्वाधिकार सुरक्षित
नादान 

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